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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

हार्ट अटैक के बजाए देश के लिए मरना बेहतर: अन्ना हजारे


फतेहाबाद : भ्रष्टाचार विहीन व्यवस्था लागू करवाने के लिए देश में आंदोलन चला रहे अन्ना हजारे चालीस वर्षो से घर नहीं गए हैं और न ही परिवार के बारे में ज्यादा जानकारी रखते हैं। उनके लिए सब कुछ देश है। यह खुलासा स्वयं अन्ना हजारे ने फतेहाबाद में जनसभा के दौरान किया।

अन्ना बोले जीवन में व्रत लिया है कि जबतक जीना है समाज और देश के लिए जीना है। मरना है तो भी देश के लिए ही। हार्ट अटैक से मरने से तो बेहतर है कि देश के लिए मरे। इसीलिए जान हथेली में लेकर घूम रहा हूं, नहीं पता घर के क्या हालात हैं। कहां पर बहन है और तीन भाई है, और उनके बच्चों के नाम भी पता नहीं हैं। मंदिर में रहता हूं। एक बिस्तर और एक प्लेट है। देश के लिए योजनाओं करोड़ों की बनाई हैं किंतु अपना बैंक बैलेंस नहीं है। लड़ते लड़ते 6 मंत्रियों के विकेट लिए हैं और 40 अफसरों को चलता कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में लड़ रहा था तो कपिल सिब्बल बोले बाहर के लोगों को कानून बनाने की कमेटी में क्यों लें? तब उन्होंने कहा कि जिन्हें बाहर के बता रहे हो वह सत्ता के मालिक हैं और फिर सरकार की लाइट जगी और कमेटी बनी।

4 मई से यात्रा का दूसरा पड़ाव शुरू

पूर्व थल सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने कहा कि जनतंत्र मोर्चा की जनतंत्र यात्रा में अपार भीड़ जुट रही है और यात्रा अपने मकसद में कामयाब हो रही है। यात्रा का दूसरा पड़ाव 4 मई से उत्तर प्रदेश से शुरू होगा। यात्रा राजस्थान व मध्य प्रदेश में भी जाएगी। वे आज फतेहाबाद में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि राजनीति में आने का कोई इरादा फिलहाल नहीं है। हालांकि कई पार्टियों से उन्हें ऑफर जरूर मिले हैं। उन्होंने कहा कि जनतंत्र मोर्चा का मकसद जनता को जगाने का है। जनता खुद फैसला करेगी किसे जिताना है। उन्होंने कहा कि सितंबर के प्रथम सप्ताह में दिल्ली में जन संसद बुलाई जाएगी। जिसमें एक बड़े परिवर्तन की शुरूआत नजर आएगी। नेताओं के साथ आने के संबंध में उन्होंने कहा कि जो नेता स्वार्थ छोड़ कर आना चाहे और चुनाव न लड़ने की शपथ लेगा उसे अपने साथ जोड़ेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हरियाणा में यात्रा के सफल होने से किसी को डर लग रहा है। इसीलिए यात्रा के कार्य में बाधा पहुंचाई जा रही है। कैथल में पोस्टर फाड़े गए हैं। वहीं सोनीपत में बैनर की मंजूरी नहीं मिली। लगता है प्रशासन को निर्देश कहीं से मिले हैं।

परमाणु के विरूद्ध खुलकर बोले जनरल

सेवानिवृत्ति के तत्काल बाद परमाणु सयंत्र का विरोध करने पूर्व में भी गोरखपुर पहुंचे जनरल वीके सिंह ने एक बार फिर परमाणु सयंत्र की मुखालफत कर दी। जनरल ने कहा कि जमीन परमाणु सयंत्र के बदले अच्छा मुआवजा मिला। किसानों की बांछें खिल गई हैं। अच्छे मुआवजे से गाड़ियां आ गई। किंतु ये सब किसान के हित में नहीं है। बैलगाड़ी से सीधे गाड़ी में आने के नुकसान हैं। यह सब बाद में महसूस होगा। पैसा मिला है, खाना अच्छा मिलेगा। रहन सहन अच्छा होगा किंतु वो स्वच्छ हवा और तंदरुस्ती कहां से लाओगे जो गोरखपुर में है। उन्होंने कहा कि थर्मल पावर के कारण बठिंडा कैंसर कैपिटल बन गया है। वहीं कोटा परमाणु बिजली घर से शहर व आसपास का क्षेत्रफल स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि परमाणु सयंत्र के लगने से आम आदमी को लाभ नहीं बल्कि जो बाहर से सयंत्र मंगाकर यहां लगवाएंगे।
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