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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना महंगा पड़ा रिंकू सिंह को; छह गोली लगने के बाद भी खत्म नहीं हुआ जज्बा


नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में समाज कल्याण अधिकारी रिंकू सिंह माही को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की कीमत अपनी एक आंख, जबड़ा और दोनों हाथ गंवा कर चुकानी पड़ी।

बकौल रिंकू सिंह माही, मेरी गलती सिर्फ इतनी सी थी कि मैंने सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के नाम पर हो रही अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाने की जुर्रत की थी।

मैंने अपने विभाग से आरटीआई के मार्फत कुछ ऐसी जानकारियां मांगी थीं, जो करीब तीस करोड़ रुपए के घोटाले की पोल खोलने में चिंगारी का काम कर सकती थीं। मेरी इन गुस्ताखियों का नतीजा था कि कुछ अज्ञात लोगों ने मुझ पर हमला कर छह गोलियां मारीं।

इस हमले के बावजूद मेरा हौसला अब भी चट्टान की तरह मजबूत है। मैं समाज कल्याण विभाग में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ सोमवार से लखनऊ में आमरण अनशन पर बैठने जा रहा हूं।

उत्तर प्रदेश के एनएचआरएम घोटाले में अपनी जांच गंवा चुके एकाउंटेंट महेंद्र शर्मा के बेटे तुषार शर्मा का कहना है कि भ्रष्टचार के खिलाफ लड़ाई की बहुत बड़ी कीमत उनके परिवार ने चुकाई है।

हत्या से सात दिन पहले से उसके पिता लापता हो गए। सात दिन बाद अचानक उनकी मृत्यु की खबर दी गई। उनके शरीर में छह से अधिक जख्म पाए जाने के बावजूद उनकी मौत को आत्महत्या का रूप दे दिया गया। अब उनका परिवार अपने हक के लिए जद्दोजहद कर रहा है, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

एनएचआरएम घोटाले में अपनी जान गंवा चुके सीएमओ डा.वीपी सिंह के भाई वाईपी सिंह का कहना है कि उनका भाई हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ा। डा. वीपी सिंह तब से ही भ्रष्टाचारियों की आंखों में खटकने लगे थे, जब से उन्होंने हृदय विशेषज्ञों को सीएमओ बनाने के लिए अपने विभाग में आंदोलन छेड़ा था।

एनएचआरएम घोटाले में भ्रष्टाचारियों का साथ न देने की कीमत उन्हें अपनी जान देकर गंवानी पड़ी। तमिलनाडु के एक गांव में खनन माफिया की खिलाफत के चलते अपनी जान गंवाने वाले सतीश कुमार के भाई ए मुत्थू का कहना था कि 14 दिन पहले खनन माफिया ने उसके सामने ट्रक से कुचल कर उसके भाई की हत्या कर दी।

पुलिस को आंखों देखा हाल बताने के बावजूद पुलिस ने उनका साथ देने की बजाय खनन माफिया का साथ दिया। उसके भाई की हत्या को पुलिस ने एक्सीडेंट का रूप दे दिया। तमाम प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासन के बावजूद अभी तक उसके भाई के हत्यारे आजाद घूम रहे हैं।

पोते में नरेंद्र की छवि

मध्य प्रदेश के मुरैना में खनन माफिया द्वारा मौत के घाट उतारे गए आईपीएस नरेंद्र कुमार के चाचा राजपाल सिंह का कहना था कि इस घटना के बाद से उनका परिवार पूरी तरह से टूट चुका है।

परिवार कितने सदमे में है, इसको शब्दों में बयां करना नामुमकिन है। किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि परिवार को इस सदमे से किस तरह बाहर निकालें। नरेंद्र की पत्नी ने कुछ दिनों पहले ही एक पुत्र को जन्म दिया है। अब उसी में हम सब नरेंद्र की छवि देख रहे हैं।

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