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फिर लोकायुक्त के निशाने पर शीला

दिल्ली के लोकायुक्त ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को फिर परेशानी में डाल दिया है। लोकायुक्त ने उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना को एक रिपोर्ट भेजकर शीला दीक्षित की निंदा किए जाने संबंधी अपनी पिछली सिफारिशों की समीक्षा करने के लिए कहा है।

लोकायुक्त की यह रिपोर्ट गरीबों को सस्ते दाम पर फ्लैट देने के मामले के बारे में कथित रूप से गलत तथ्य पेश करने से संबंधित है। खन्ना को भेजी अपनी रिपोर्ट में लोकायुक्त ने मामले की समीक्षा के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के पास इसे प्रेषित करने का भी अनुरोध किया है।

गौरतलब है कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव से पहले शीला दीक्षित ने 6 हजार परिवारों को सस्ते मकान देने का वादा किया था। सरकार ने घोषणा की थी कि 60,000 फ्लैट बनकर तैयार हैं, लेकिन दिसंबर 2009 में सरकार के शहरी विकास विभाग ने सुनवाई के दौरान जो दस्तावेज सौंपे उनमें तैयार फ्लैटों की संख्या सिर्फ आठ हजार निकली।

लंबी सुनवाई के बाद लोकायुक्त अदालत ने अपना फैसला सुनाया था , जिसमें स्पष्ट कहा गया कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने पद का दुरुपयोग कर गरीबों को सस्ते दामों पर फ्लैट देने की घोषणा सिर्फ चुनाव में लाभ उठाने के मकसद से की थी। लोकायुक्त ने सिफारिश की थी कि राष्ट्रपति को मुख्यमंत्री के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन राष्ट्रपति ने अप्रत्यक्ष रूप से इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था।
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