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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

जंतर-मंतर पर अन्ना के समर्थन में जुटा आपर जनसमूह

नई दिल्ली | भ्रष्टाचार उजागर करने के दौरान अपनी जान गंवाने वाले व्हिसल ब्लोअर्स को न्याय दिलाने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर रविवार को एक दिन का अनशन करने वाले वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का जादू लोगों के सिर एक बार फिर चढ़कर बोला। अनशन स्थल पर हजारों की संख्या में जुटी भीड़ ने यही बयां किया। रविवार सुबह अनशन स्थल पर अन्ना हजारे के पहुंचने से पहले वहां करीब 2000 लोग एकत्र हो गए थे। देशभक्ति के गीतों, तिरंगा और अन्ना टोपी के बीच माहौल अनशन के अनुकूल बन गया था। अन्ना हजारे महात्मा गांधी की समाधि राजघाट से जंतर-मंतर पहुंचे।

अन्ना के पक्के समर्थक एवं एक निजी कम्पनी में कर्मचारी विनोद पाठक ने कहा, "मैं पिछले साल भी जंतर-मंतर आया था, मैं रामलीला मैदान में भी मौजूद रहा और मैं फिर यहां आया हूं। भ्रष्टाचार के खिलाफ जब-जब आंदोलन करने की जरूरत होगी, मैं उपस्थित रहूंगा।"

आंदोलन के प्रभाव के बारे में पाठक से पूछे जाने पर उन्होंने आईएएनएस को बताया, "एक कहावत है, प्रयास तबतक करो जबतक कि सफलता मिल नहीं जाती। यह एक लम्बा संघर्ष है। हमें यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीत इतनी आसानी से प्राप्त हो जाएगी।"

स्वतंत्र फोटोग्राफर के रूप में काम करने वाले निशिकांत सिंह ने कहा कि अन्ना हजारे के अनशन में भाग लेने और उनकी तस्वीर खींचने का यह एक मौका है।

उन्होंने कहा, "यह आंदोलन कुछ ऐसा है कि जो हम सभी को प्रभावित करता है।"

सामाजिक कार्यकर्ता के एक दिन के अनशन को अपना समर्थन देने के लिए कई राज्यों से लोग पहुंचे थे।

बिहार के गया से पहुंचे पेंटर मोहम्मद आलम ने अनशन स्थल पर भ्रष्टाचार-विरोधी विषय पर पेंटिंग बनाई।

आलम ने आईएएनएस से कहा, "अन्ना के अनशन के दौरान मैं हमेशा एक नई पेंटिंग बनाता हूं। मैंने आज के अनशन के लिए यह पेंटिंग बनाई है। यह पेंटिंग बताती है कि अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ कैसे लड़ रहे हैं।"

वहीं, कुछ ऐसे लोग भी थो जो अन्ना हजारे के विचारों से सहमत नहीं दिखे।

पटना से आए अतुल मेहता ने कहा कि वह इस आंदोलन की सही तस्वीर पेश करने के लिए यहां आए हैं।

उन्होंने आरोप लगाया, "इस आंदोलन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का समर्थन प्राप्त है और मैं चुप नहीं रह सकता क्योंकि ये लोग लोगों को मूर्ख बनाते हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के बहाने तानाशाही कायम करना चाहते हैं।"

दिल्ली निवासी विजय नारायण सेठ ने दावा किया, "आलोचना करना आसान है। टीम अन्ना जिन तरीकों का इस्तेमाल कर रही है, उनसे कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा।"
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