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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

अंग्रेजों की तरह बर्ताव कर रहे हैं सांसद: अन्ना हजारे


देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बन चुके गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे ने सांसदों के व्यवहार की तुलना अंग्रेजों से की है। उन्होंने कहा, मनमाने कानून अंग्रेज बनाते थे, लेकिन आज के नेताओं को भी सवाल खड़े करना नहीं सुहा रहा। उनके सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने संसद में निंदा प्रस्ताव पारित होने के तुरंत बाद फिर वही बातें दुहराई हैं। उन्होंने कहा, जनता को इस बात का जवाब अब भी नहीं मिला है कि क्या सांसदों की खरीद-फरोख्त कर भविष्य में फिर संसद का अपमान किया जाएगा।


अन्ना हजारे ने मंगलवार को कहा, वे और उनके सहयोगी संसद का पूरा सम्मान करते हैं। हमने एक बार नहीं, सैकड़ों बार कहा है कि संविधान के मुताबिक कानून संसद में ही बनते हैं, लेकिन ये कानून जनता की राय के मुताबिक और उनको साथ ले कर ही बनाए जाने चाहिए। अन्ना ने कहा, संविधान में जनता को सबसे ऊपर रखा गया है। इसके बावजूद आज जनता सवाल खड़ा करती है तो ये [सांसद] कहते हैं हमसे पूछने वाले आप कौन? ऐसा कह कर ये लोग संविधान का अपमान कर रहे हैं। नेता कुछ सवाल उठाते हैं और मेरा उन्हें जवाब शीर्षक से लिखे ब्लॉग में अन्ना ने कहा, अंग्रेज तो जुल्मी थे। उन्हें भारत को लूटना था। इसलिए मनमर्जी से कानून बनाए और जनता पर अत्याचार करते रहे। इस तरह वे नाजायज व अमानवीय कानूनों के आधार पर भारत को लूट ले गए, लेकिन अब हम प्रजातंत्र में हैं। अब कोई भी कानून बनाना है तो उसका मसौदा बनाते समय जनता के अनुभवी लोगों को साथ में ले कर बनाना है और तब उसे कानून बनाने के लिए संसद को भेजना है। मैं उम्मीद करता हूं कि राजनीति के लोग इस बात को समझेंगे।


अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने संसद के निंदा प्रस्ताव के तुरंत बाद कहा, जनता बड़े गौर से संसद की कार्यवाही देख रही थी, मगर उन्हें अपने सवालों का जवाब नहीं मिला। लोग पूछ रहे हैं कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले जो 162 सांसद अंदर बैठे हैं, उनका क्या होगा? क्या इनके आरोपों पर सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालत नहीं बननी चाहिए? जनता जानना चाहती है कि क्या भविष्य में फिर से संसद के अंदर बिल फाड़े जाएंगे, माइक, टेबल और कुर्सियां फेंकी जाएंगी? क्या भविष्य में सांसदों की खरीद-फरोख्त जारी रहेगी? केजरीवाल ने कहा, जनता संसद की बहुत इज्जत करती है। नहीं चाहती कि जिस तरह से अपमान होता आया है, आगे भी होता रहे, मगर दुख की बात है कि संसद में हुई चर्चा से इस बात का कोई जवाब नहीं मिला।


संसद की टीम अन्ना को चेतावनी


नई दिल्ली। संसद और सांसदों के विरुद्ध तीखी टिप्पणी से आहत एवं नाराज लोकसभा ने एक सुर से टीम अन्ना की निंदा कर कठोर चेतावनी दी, लेकिन उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन के तहत कार्रवाई से बचा गया। राजग से लेकर संप्रग के सहयोगियों तक, सबने टीम अन्ना पर जमकर भड़ास निकाली। विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर कांग्रेस, भाजपा और वाम दलों ने दूरी बना ली। नतीजतन, लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की भावनाओं के अनुरूप टीम अन्ना को चेतावनी दी कि सदन को नीचा दिखाने वाली टिप्पणियां कतई स्वीकार्य नहीं हैं।


रविवार को जंतर-मंतर पर टीम अन्ना की तरफ से खुद पर और संसद पर की गई टिप्पणी से उद्धेलित राजग संयोजक शरद यादव ने संसद के खिलाफ आपत्तिजनक बयानों को रोकने के लिए नोटिस दिया था। दिन में हंगामे के बाद शाम को लोकसभा में सरकार अल्पकालिक चर्चा को राजी हुई। बजट पर वित्त मंत्री के जवाब के बाद हुई इस अल्पकालिक चर्चा में सभी दलों ने टीम अन्ना की भाषा और उनके रवैये की निंदा की। चर्चा के बाद टीम अन्ना के खिलाफ सदन की तरफ से कोई प्रस्ताव पारित करने के बजाय अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदन की मंशा को जताते हुए सिविल सोसाइटी को चेतावनी दी। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व कानून और आदर्श आचार-संहिता के तहत गहन छानबीन के बाद चुनाव में जनता अपने विवेक से जनप्रतिनिधियों का चयन करती है। संसद जनता के सामूहिक विवेक का सम्मान करती है।


जदयू अध्यक्ष शरद यादव के साथ सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, बसपा, अन्नाद्रमुक और टीडीपी जैसे तमाम दल टीम अन्ना को सदन में तलब कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की हिमायत करते रहे। सोमवार को टीम अन्ना के खिलाफ आक्रामक रही भाजपा ने खुद को खोल में समेट लिया। टीम अन्ना के मुख्य कर्ताधर्ता अरविंद केजरीवाल या अन्य के खिलाफ सदन की तरफ से विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने के सवाल पर सरकार के साथ-साथ भाजपा और वामदल भी सहमत नहीं थे। सबका मानना था कि इससे अप्रासंगिक हो रही टीम अन्ना फिर से सुर्खियां बटोर लेगी। खुद संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने वरिष्ठ नेताओं प्रणब मुखर्जी, राकांपा सुप्रीमो शरद पवार और पी. चिदंबरम और दूसरे नेताओं से विमर्श करती रहीं। शरद यादव भी अपना भाषण खत्म करने के बाद सोनिया गांधी से मिलने गए, लेकिन सत्ता पक्ष की तरफ से कोई प्रस्ताव लाने या विशेषाधिकार हनन चलाने से साफ मना कर दिया गया। चर्चा के दौैरान राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह ने शरद यादव और भाजपा नेताओं को भी अन्ना की तरफदारी करते रहने के लिए असहज किया।
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