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भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत समर्थक

लोकपाल लाओ वरना 2014 में सत्ता छोड़ो: हजारे

भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वालों की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं देने वाली सरकार को गूंगी और बहरी करार देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने जंतर-मंतर पर एक दिवसीय उपवास के दौरान सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के पास दो विकल्प हैं लोकपाल लाओ या सत्ता छोड़ो।


लोकपाल आंदोलन में नई जान फूंकने का प्रयास करते हुए हजारे ने अपने उपवास की समाप्ति पर लोगों से कहा कि लोकपाल लाओ या 2014 के लोकसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हो। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए प्रभावी लोकपाल कानून बनाने के संबंध में सरकार में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि जनता की शक्ति के आगे एक दिन केंद्र को मजबूत लोकपाल विधेयक लाने को मजबूर होना होगा।

हजारे ने कहा कि जिन मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार या अपराध के मामले हैं, उनके खिलाफ अगर अगस्त तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, तो एक नियत तिथि से जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विषय पर पहले विभिन्न पक्षों और जनता से विचार विमर्श किया जाएगा।

हजारे ने कहा कि यदि यह अभी नहीं हुआ, तो कभी नहीं होगा, इसलिए वह पूरे देश में घूमेंगे और लोगों को जागृत करने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा मजबूत लोकपाल विधेयक लाने का नहीं है, लेकिन हम रुकेंगे नहीं, हम संघर्ष करेंगे और हमें उम्मीद है कि एक दिन जन लोकपाल विधेयक आएगा।

उन्होंने कहा कि जन लोकपाल विधेयक हालांकि सभी समस्या का समाधान नहीं है लेकिन इससे लोगों को अधिकार सम्पन्न बनाने और व्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने और सुचिता स्थापित की जा सकेगी। लोगों से सरकार पर दबाव बनाने का आह्वावान करते हुए हजारे ने कहा कि देश के लोग अब जाग गए है और वे अब देश के संसाधनों की लूट नहीं होने देंगे।

हजारे ने कहा कि जन लोकपाल विधेयक के लिए आंदोलन के बाद उनका अलग कदम लोगों को राइट टू रिजेक्ट दिलाने की दिशा में संघर्ष करने का होगा। इसके बाद ग्राम सभा में शुचिता का विषय आएगा और फिर किसानों के विषय को उठाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि अब से वह बाबा रामदेव के साथ मिलकर कर करेंगे। जब हम आंदोलन करेंगे तब बाबा रामदेव के लोग सहयोग करेंगे और जब योगगुरु कालाधन आदि विषयों पर आंदोलन करेंगे तब हम उनका समर्थन करेंगे।

भूमि अधिग्रहण का उल्लेख करते हुए हजारे ने कहा कि इस प्रकार का कानून बनाना चाहिए जिसके तहत किसानों की जमीन अधिग्रहित किए जाने से पहले ग्राम सभा की मंजूरी लिया जाना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई लोकशाही, प्रजातंत्र और गणतंत्र को बहाल करने के लिए है। उन्होंने कहा कि उनका कोई घर नहीं है, मंदिर में सोते है, एक थाली में खाना खाते हैं और किसी रिश्तेदार के बच्चों का नाम तक नहीं जानते। लेकिन वह छह कैबिनेट मंत्रियों के आगे नहीं झुके।

अन्ना हजारे ने तीन महीने के बाद दिल्ली में जंतर-मंतर पर फिर से उपवास किया। अन्ना का यह उपवास एक दिन का था। तीन महीने पहले मुम्बई में उनका विरोध प्रदर्शन सफल नहीं रहा था। अन्ना पूर्व की तरह दिल्ली में विरोध प्रदर्शन शुरू करने से पहले राजघाट गए। इसके बाद पूर्वाहन करीब 11 बजे जंतर मंतर पहुंचे जहां हाथों में तिरंगा लिए हुए बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और लोगों ने भारत माता की जय और वंदे मातरम के उदघोष के बीच उनका स्वागत किया।

उनका उपवास दिवंगत आईपीएस अधिकारी नरेन्द्र कुमार के परिवार को न्याय देने और भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वालों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कड़ा कानून बनाने की मांग के लिए है।

उपवास के अवसर पर जंतर-मंतर पर मध्यप्रदेश में माफिया के हाथों कथित तौर पर मारे गए आईपीएस अधिकारी नरेन्द्र कुमार के परिवार के लोग और भ्रष्टाचार का भंड़ाफोड़ करते हुए अपना बलिदान देने वाले 12 अन्य लोगों के परिवार के सदस्य आए हैं। साथ ही 25 लोगों के बलिदान की कहानी को लोगों के समक्ष पेश किया गया।

अपना उपवास शुरू करने से पहले अन्ना ने कहा कि वह गूंगी और बहरी सरकार के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे जो भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वालों को निशाना बनाए जाने पर आंखे मूंदे हुए हैं। उपवास शुरू करने से पहले अन्ना ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करते हुए काफी लोगों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि इनमें से कई मामलों के तीन वर्ष गुजर जाने के बावजूद सरकार ने जांच नहीं कराई।

अन्ना ने कहा कि उनकी (भ्रष्टाचार का भंड़ाफोड़ करने वालों) माता, बच्चे, पिता, पत्नी न्याय के लिए कराह रहे हैं लेकिन सरकार गूंगी और बहरी हो गई है। उसे लोगों की कराह सुनाई नहीं दे रही है। उपवास शुरू करने से पहले राजघाट जाने से पूर्व अन्ना ने संवाददाताओं से कहा कि इसके लिए बड़ा आंदोलन होगा। तब सरकार ध्यान देगी। सरकार ने मनरेगा योजना शुरू की लेकिन ये लोग (भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वाले) इसे बेहतर बनाने की कोशिश में मारे गए।
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